मैं तुझे फिर मिलूँगी
कहाँ कैसे पता नहीं
शायद तेरी कल्पनाओ की प्रेरणा बन
तेरे कैनवास पर उतरूँगी
मैं तुझे फिर मिलूँगी
कहाँ कैसे पता नहीं
-अमृता प्रीतम
अमृता प्रीतम का जन्म 1919 में गुजराँवाला में हुआ था। इनका बचपन लाहौर में बीता और शिक्षा भी वहीं पर हुई। इन्होंने पंजाबी लेखन से शुरुआत की और किशोरावस्था से ही कविता, कहानी और निबंध लिखना शुरू किया और आगे चलकर महारथ हासिल की और सभी लिखने वालो के लिए एक प्रेरणा के रूप ने उभर कर आई । माताजी के निधन के चलते अमृता को घर की ज़िम्मेदारी का भार बहुत ही छोटी उम्र से ही उठाना पड़ा है |। ये उन साहित्यकारों में से है जिनका पहला संकलन 16 साल की आयु में प्रकाशित हुआ। फिर आया 1947 का विभाजन का दौर, इन्होंने विभाजन का दर्द सहा था, और इसे बहुत क़रीब से महसूस किया था, इनकी कई कहानियों में इसका दर्द स्वयं महसूस किया जा सकता है ।उन्होंने 18 वीं सदी में लिखी अपनी कविता ”आज आखां वारिस शाह नु” में भारत-पाक विभाजन के समय में अपने आक्रोश को इस कविता के माध्यम से दिखाया था, साथ ही इसके दर्द को बेहद भावनात्मक तरीके से अपनी इस रचना में पिरोया था।
विभाजन के समय इनका परिवार दिल्ली में आ बसा। अब इन्होंने पंजाबी के साथ-साथ हिन्दी में भी लिखना शुरू किया।
अमृता ने अपने लेखन से उन स्त्रियों के दुख का वर्णन करती आई हैं जो समाज मे अपनी आवाज़ उठाने से डरती थी या जिन्हे समाज की बनाई हुई कुप्रथाओ का शिकार होना पड़ता था, उन्होने अपनी रचनाओं से विधवाओं और तलाक शुदा औरतों के जीवन के बारे में लिखा और उन्हें समाज में अपनी बात रखने की जगह दी हैं |
अपने जीवन में करीब 100 किताबें लिखने वाली महान कवियित्री अमृता प्रीतम जी को उनकी महत्वपूर्ण रचनाओं के लिए कई बड़े पुरस्कारों से भी सम्मानित किया जा चुका है |
अमृता प्रीतम जी का विवाह एवं निजी जीवन –
साहित्य में अपना नाम बनाने वाली और अंतराष्ट्रीय स्तर पर जगमगाती हुई अमृता का विवाह महज़ सोलह साल की उम्र में ही हो गया था मगर उनका ये वैवाहिक जीवन ज़्यादा दिन तक ना चल सका और 1960 में उनका तलाक हो गया था |
वहीं अमृता प्रीतम जी की आत्म कथा रशीदी टिकट के मुताबिक प्रीतम सिंह से तलाक के बाद कवि साहिर लुधिंवी के साथ उनकी नजदीकियां बढ़ गईं, लेकिन फिर जब साहिर की जिंदगी में गायिका सुधा मल्होत्रा आ गई, उस दौरान अमृता प्रीतम जी की मुलाकात आर्टिस्ट और लेखक इमरोज से हुई है, जिनके साथ उन्होंने अपना बाकी जीवन व्यतीत किया।वहीं अमृता जी की प्रेम कहानी एवं उनके जीवन पर आधारित अमृता इमरोज़: ए लव स्टोरी नाम की एक किताब भी लिखी गयी है। अमृता प्रीतम के बारे में यह भी कहा जाता है|
अमृता जी को उनके काम की बहुत सराहा गया हैं और उनके लेख का कई अन्य भाषाओ में अनुवाद भी किया गया हैं
अमृता प्रीतम जी द्धारा रचित उपन्यास ‘पिंजर’ पर साल 1950 में एक अवार्ड विनिंग फिल्म पिंजर भी बनी थी, जिसने काफी लोकप्रियता हासिल की थी। आपको बता दें कि अमृता प्रीतम जी ने अपने जीवन में करीब 100 किताबें लिखीं थी, जिनमें से इनकी कई रचनाओं का अनुवाद विश्व की कई अलग-अलग भाषाओं में किया गया था।
अमृता प्रीतम जी द्धारा लिखित उनकी कुछ प्रमुख रचनाएं इस प्रकार है –
उपन्यास – पिंजर, कोरे कागज़, आशू, पांच बरस लंबी सड़क उन्चास दिन, अदालत, हदत्त दा जिंदगीनामा, सागर, नागमणि, और सीपियाँ, दिल्ली की गलियां, तेरहवां सूरज, रंग का पत्ता, धरती सागर ते सीपीयां, जेबकतरे, पक्की हवेली, कच्ची सड़क।आत्मकथा – रसीदी टिकट।अमृता प्रीतम भारत के महत्वपूर्ण पुरस्कार पद्म श्री हासिल करने वाली पहली पंजाबी महिला हैं ।
अमृता प्रीतम जी की मृत्यु –
काफी लंबी बीमारी के चलते 31 अक्टूबर 2005 को 86 साल की उम्र में उनका देहांत हो गय़ा।
वहीं आज अमृता प्रीतम भले ही इस दुनिया में नहीं है, लेकिन आज भी उनके द्धारा लिखित उनके उपन्यास, कविताएं, संस्मरण, निबंध, उनकी मौजूदगी का एहसास करवाते हैं।वहीं इस महान लेखिका के सम्मान में 31 अगस्त, 2019 को, उनकी 100वीं जयंती पर गूगल ने भी बेहद खास अंदाज में डूडल बनाया है।
Rani Singh @Samacharline
Lady Sri Ram, Delhi University