जीत की तलाश कर – मृदुल कुमार ओझा

तुम अभेद्य हो विराट हो

प्रचंड पार्थ की तरह

मिलेंगे मार्ग में तुम्हें

शत्रु रात की तरह

रात्रि न विराम की

शक्ति श्री प्रणाम की

भेद दो प्रपंच तुम

तोड़ दो ये रंच तुम

विजय तुम्हारे पास हो

पुनः ये प्रयास कर

है भूमि कुरुक्षेत्र की

जीत की तलाश कर।।(1)

कर्ण सा एकाग्र हो

मार्ग पर भी सर्वथा

तेज जो मिला तुम्हें

न व्यर्थ में बने व्यथा

सामने जो ईश हो

शत्रु बन खड़े हुए

सत्य संग तुम्हारे हो

तो रहो अड़े हुए

त्याग कर व्यथा यहां

न किसी की आश कर

है भूमि कुरुक्षेत्र की

जीत की तलाश कर।।(2)

त्याग दुनिया स्वार्थी है

स्वयं का अवधान कर

ले स्वयं का बल पुनः

वाण का संधान कर

जीव है तू सत्य है

पर ह्रदय यदि ठान ले

कंटकों का ढेर है

यदि उसे पहचान ले

तो चल है तेरा मार्ग यह

सत्य पर विश्वास कर

है भूमि कुरुक्षेत्र की

जीत की तलाश कर।।(3)

  • मृदुल कुमार ओझा

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