जब देश पूर्ण रूप से ग़ुलामी की जंजीरो मे जकड़ा हुआ था और आजादी के लिए फिरंगियों से लड़ रहा था तब देश के कई वीर क्रांतिकारी पत्रकार जैसे सच्चिदानंद सिन्हा,सुरेन्द्रनाथ बनर्जी, एम एन रॉय इत्यादि ने अपनी जान की परवाह करें बिना ही राष्ट्र हित मे अपने अपने अख़बार और पत्रिकाओ द्वारा लोगो को अंग्रेजो के कुकृत्य, सही तथ्यों, राजनेताओं द्वारा किये गए आंदोलनों और विभिन्न राष्ट्रहित कार्यक्रमो से अवगत कराते और देश को आजादी दिलाने और लोगो को सम्मलित एवं उनको जागरूक कर उनके अंदर राष्ट्रीय वाद को जगाने मे अहम भूमिका निभाई है ।
मगर आज जब देश ने पत्रकारिता (media) को लोकतंत्र के चौथे स्तम्भ का दर्जा दिया तो आज के पत्रकारो ने अपना सम्मान कहीं ना कहीं खो दिया है, आज वो लोकहित के लक्ष्य से हट कर कहीं ना कहीं निजी हितो के लिए अग्रसर है आज भारतीय पत्रकारिता केवल पृष्ठो पर ही स्वतंत्र है आज पत्रकार अपना वास्तविक कार्य को छोड़ कर राजनीतिक दलों मे बट गए है आज पत्रकार केवल अपने अपने राजनितिक गतिविधियों को बढ़ावा देते है मगर सच का समर्थन और गलत का विरोध नहीं कर पाते एवं गलत चीज़ो को फ़ैलाने की कोशिश करते है, आज वह केवल उन्ही मुद्दों को उठाते है जिनसे उन्हें लोकप्रियता मिले और उनके चैनलो की टेलीविज़न रेटिंग पॉइंट (TRP) अत्यधिक हों पत्रकार को समाज का दर्पण कहा जाता है ऐसे मे यदि पत्रकारिता पारदर्शी नहीं है तो आम जन उसी को सच मान लेता है जों उसे प्रत्यक्ष दिखता है, आज के रफ़्तार भरी आधुनिक जिंदगी मे समय के किल्लत के कारण कोई गहनता से इस बात की जांच नहीं करता की क्या वाकई पत्रकार सही बता रहे या गलत क्यूकी देश को सच्चाई से अवगत कराने का कार्य पत्रकारिता का है आज लोगो के बिच मतभेद बढ़ रहे जिनके महत्वपूर्ण बिंदु है धर्म पर राजनीति, दो दलों के बिच की राजनीति इत्यादि जब एक आम आदमी ये सब देखता है तो आधे-अधूरे बातो से उसकी मानसिकता हीन होने लगती है वो इन सब मे उलझ जाता है कहीं ने कहीं भारतीयों की सोच मे गिराबट का ये भी कारण है क्यूकी यहाँ सकारात्मक विचारों की जगह व्यक्तियों पर विचार विमर्श होता है, तो जैसे की दावा किया जाता है की भारत अब आधुनिक भारत है नया भारत है तो उसकी विचार धारा भी नयी ही करनी होंगी ये तब ही संभव है जब ईमानदारी से शोधकर्ता और युवा इस पर कार्य करें लोगो को जागरूक करें लोग तथ्यों को ढूंढे सही खबरे लोगो तक पहुंचेंगे पत्रकार अपनी कार्यशैली राष्ट्रवादी करें नकारात्मक विचारों और गतिविधियों का विरोध करें, मैं मानता हूँ यदि ये सब हुआ तो हमारा देश वाकई तरक्की की राह पर जाने लगेगा क्यूकी विचार और चिंतन ने इस देश को कई महापुरुष दिए जिसमे से कुछ सर्वश्रेष्ठ है बुद्ध , चाणक्य, विवेकानंद जिन्होंने अपने विचारों से संपूर्ण मानव जीवन का उद्धार किया मगर आज आदमी चिंतन नहीं चिंता करता है, सुनता नहीं बोलता ज्यादा है तभी वो किसी हल तक पहुंच नहीं पाता तो यदि इसे पढ़ने के बाद एक व्यक्ति के आचरण मे भी सुधार और सकारात्मक बदलाव आएगा तो मेरा लिखना सफल होगा |
अरे वो लोग अपना व्यापार चला रहे है,
अपने कृत्यों से तुम्हें भड़का रहे है |
धर्म जाति पर लड़ना छोड़ दो दोस्तों,
वो सियासती रोटी सेंक रहे रहे,तुम्हारा लहू बहा रहे ||
कौस्तुभ मिश्रा
विधि छात्र, शम्भुनाथ इंस्टिट्यूट ऑफ़ लॉ, प्रयागराज