रहते थे घर से दूर, पर घर आने को तरसते थे – Rohan Kedia
रहते थे घर से दूर, पर घर आने को तरसते थे। वीडियो कॉल पर आंसू छिपाते , पर तकिए में बरसते थे। खाना कभी- रोज नहीं होता, पर झूठ घर पे बोलते थे, बोलते ” ठिक हूँ !!”, पर अकेले में रोते थे, साथ नहीं रहते, पर साथ रहने को