अंतर्राष्ट्रीय महिला स्वास्थ्य दिवस के मौके पर एक कविता – काजल कुमावत
देख कर हो जाता है हलाल बेहाल | आजाते हे ये, बीना दिये पेगाम ।। हा भाई हा… मै कर रही हू पीरियड्स की बात, पड़ जाता हे मेहगा निकलना दिन और रात, जो लगा जाते हे हम लड़कियाँ के वाट.. होता है इनका रंग लाल, पीरियड्स, मेंसुरेशन, ओर भी