The Spilt Ink: एक सवाल – नेहा थापा 

अब तुम दूर हो,
बेशक मजबूर नहीं हो,
मजबूर नहीं हो झूठ बोलने के लिए,
मजबूर नहीं हो किसी को जबरदस्ती अपना बनाने के लिए,
मजबूर नहीं हो बाहों में किसी और को भर कर
किसी और से मोहब्बत की बातें करने के लिए,
क्योंकि अब तुम साथ ही तो नहीं हो!
तुम इस भीड़ का हिस्सा हो और मेरी जिंदगी का
एक किस्सा हो जिससे सुनाना बहुत मुश्किल है मेरे लिए। हमारी मुलाकात महज एक हादसा
बन कर रह गयी है अब।
क्योंकि उस हादसे के बाद ही तो
दर्द के मायने बहुत करीब से जाने हैं मैंने ।
अजीब बात है ना, जिससे रूठकर मैं कभी रह
नहीं पाती थी अब उससे मेरी बात नहीं होती ।
क्योंकि अब कहने को कुछ रहा ही नहीं,और जो
मुझे हमेशा से सुनना था वह तुमने कहा ही नहीं!
अब और फर्क नहीं पड़ता !
“फर्क नहीं पड़ता” कहने में और फर्क
ना पड़ने में भी बहुत फर्क है !
इनके भी मायने अभी जाना है ।
हालाकि नहीं सोचा होगा तुमने कि रह पाऊंगी
मैं तुम्हारे बिना क्योंकि मेरी ओर से तो प्यार था
पर तुम्हारी ओर से ?
वक्त बदले, हालात बदले, सवाल बदले,
नहीं बदला तो उस एक सवाल का जवाब जो शायद तुम्हारे पास अब भी वही हो,
पर आज मेरा सवाल बदल गया है
और आज मुझे यह जानना है कि क्यों मंजूर नहीं था तुम्हें मेरा साथ उम्र भर के लिए?”
तुम्हारे जवाब के इन्तजार में,
पुरानी नेहा।
नेहा थापा 
छात्रा, साइंस कॉलेज, कोकराझार
कोकराझार, असम

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

© 2020 Samacharline – Blog. | Design & Developed by Eway IT Solutions Pvt Ltd.