1)
पूछने को तुझसे कितने सवाल रखे हैं,
ख़त तेरे आज भी हमने संभाल रखे हैं।
यूँ तो नहीं है तेरा दिया और कुछ भी,
सूखे हुए फूल हमने फिलहाल रखें हैं।
अब तू चला ही गया तो कोई बात नहीं,
दुश्मन हमने यहाँ और भी पाल रखें हैं।
ख़्वाहिश ये थी क़े तू रुक जाए यहीं,
हमने यूँ भी जाने कितने मलाल रखें हैं।
2)
ये बातें, बातों-बातों में तुम्हारा ज़िक्र छेड़ देती हैं,
ज़रा देखो, तुम्हारा कोई हिस्सा छूटा तो नहीँ है।
ये रातें, यूँ तो संभाल कर उठाती हैं तुम्हारी यादें,
ज़रा देखो, तुम्हारा कोई किस्सा टूटा तो नहीं है।
बहुत रोका है, बहुत कोशिश की है मनाने की,
ज़रा देखो, तुम्हारा दिल अभी रूठा तो नहीं है।
सुनो, यूँ तो कसमें वादे बहुत से किये हैं तुमने,
ज़रा देखो, तुम्हारा प्यार कहीं झूठा तो नहीं है।
‐अंजलि शर्मा
प्रतापगढ़, उत्तर प्रदेश