मेरा नाम कल्पना है और मैं चाहती हूँ की आप मुझे सुने

मैं  आप लोगो के बीच  नहीं हूँ आजमगर हो सकती थी  और चौकिए मतक्योंकि आप लोगो के बीच मेरे ना होने  काएक मात्र कारण सिर्फ आप ही है

मेरे घरवालों ने मेरा जीवन यह कहकर ख़त्म  कर दिया की मैं उनके लिए आगे चलकर बोझ का कारण बन सकती हूँ  या उनकी छवि पर किसी भी तरह का दाग़ लगा सकती हूँ

केवल उनकी यह मानसिकता उनके   लिए काफी थी मेरे जीवन को ख़त्म  करने के लिए…. मैं तो सिर्फ एक कल्पना हूँऔर मुझ जैसी  बहुत सारी कल्पना और शिशु है जिन्हे गर्भ मे मार दिया जाता हैकुछ ऐसे ही मानसिकता के चलते !!

मैं तो बहुत खुश थी और मैने तो उस हर बात को सच माना था जो मेरी माँ मुझसे कहती थी जब मैं उनके गर्भ में थी और वो मुझसे अपनी सारी बाते किया करती थी

मेरी माँ कहती थी मेरी लाडो जब तू दुनिया मे जाएगी तो मैं तुझे खेलने के लिए गुड़िया दिलाऊंगी, तुझे स्कूल भेजूंगी, अच्छेअच्छे कपड़े दिलाऊंगी और मैं तेरा नाम कलपी उर्फ़  कल्पना रखूँगी… 

मैं जानती हूँ मेरी माँ मुझे नहीं मारना चाहती थीमैं समझती हूँ उसकी रूह कितनी काँप रही थी जिस वक़्त मुझे मारने का फैसला ले लिया गया थाकितना मना किया था मेरी माँ नेकितना विद्रोह किया था मगर मेरी साँसों को बंद करने के साथसाथ उनकी भी विद्रोह की हर आवाज़ बंद कर दी गई थीवो सुन पा रही थी मुझे और मेरी हलकीहलकी दर्द भरी सिसकियाँ…. चीख रही थी कलपीकलपी मै तुझे बचा लूंगी !! मगर आख़िरकार मेरी साँसों ने दम तोड़ दिया और दूसरी तरफ माँ की हिम्मत ने !!

भ्रूणहत्या…. हम कल्पना भी नहीं कर सकते की कलपी जैसे कितने शिशु है जिन्हे भ्रूणहत्या का शिकार होना पड़ा है !!भ्रूण हत्या मे  माँ के गर्भ मे पल रहे शिशु का लिंग जांच कराया जाता है और यदि कन्या होती है तो गर्भपात कराकर शिशु के जीवन को ख़त्म करवा  दिया जाता है |

भारत मे इसका चलन बहुत ज़्यादा हैयह अमानवीय और  घातक  होने के साथसाथ , समाज को शर्मसार करने वाली बात है, जहा घरों मे देवियो का वास होता है वहा उसी देवी की हत्या भी कर दी जाती हैऐसा किसलिएताकि हमारे ही बनाये हुए कुछ मिथक को स्पष्ट किया जा सके और इतनी छोटी सी मानसिकता को सही साबित करने के किया जा सके !! प्रांतो से चली रही ये मिथ्या जहा लड़की किसी कलंक के भाती देखी जाती है और लड़का घर का चिरागपता नहीं कितनी लड़कियों से उनके जीवन की कुर्बानी मांग लेता है यह बात तो रही सिर्फ भ्रूण हत्या की है मगर जीवन मिलने के बाद भी लड़किया बंदिशों मे जकड दी जाती हैघरों के दीवारों मैं उनकी सिसकियाँ दबा दी जाती है और उन्हें सभ्यता के पीछे चल रहे ढोंग का शिकार बना दिया जाता है

आज के वक़्त मे भ्रूण हत्या  अपराध है और इसके लिए दंडनीय कानून भी बनाया गया है किन्तु इस बात से बहुत दुख होता है की आज भी भ्रूणहतया पनप रहा है  संसार मे

एक ओर जहा बदलाव की हवा से लोग बदल रहे है लड़कियों को आगे बढ़ाने मे परस्पर है वही आज भी कुछ घर ऐसे है फिर चाहे वो शहर हो या या कोई गांव जहा आज भी छिपछिपाकर हमसे बहुत सारी कल्पना जैसे शिशु  छीन ली जाती है!! ज़रा उस माँ का सोचिए जिसकी गरिमा और सहनशीलता का क़र्ज़ उसे इतनी तकलीफ़ देकर चुकाया जाता है

और ऐसा इसलिए ही होता है क्यूंकि लोग विकसित नहीं होतेशिक्षित नहीं होते, उन्हें सही ज्ञान नहीं होता और लड़कियों को बोझ समझते है !!

भ्रूणहत्या को पूरी तरह से ख़तम करने के लिए होने उन डॉक्टरों की कड़ी से कड़ी सजा देनी चाहिए जो ऐसे अमानवीय काम को आगे बढ़ाते है और लिंग का जांच करते है जब की कानून की नज़र मे यह अपराध है मगर चंद पैसों के लालच मे वह वैषी बन जाते है…  हमें ऐसे ठोस कदम की ज़रूरत है जहा हम लोगो की मानसिकता को बदल सके और कल्पना जैसे शिशुओं को उनके जीवन मे आने का हक़ दिला सके !!

Rani Singh @samacharline

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