नारी – दीपानिता सांक्रेटिक
नारी तू माता हैं, तू संपदा हैं, फिर क्यों समाज की बेड़ियों से, बांधता तुझे संसार हैं? और सोने की मोल में क्यों तोलता तुझे हर बार हैं? नारी तू बेटी है, तू माता हैं, फिर तेरी चोट पे कोई नहीं क्यों रोता हैं? तेरी इन बलिदानों को अनसुना